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मै दीवारों से बनी एक महल बस नहीं, जहाँ होते हो चर्चा, एक सदन बस नहीं, न कानून बनाने का एक केंद्र बस हु मै, मै हूँ इस देश की गौरव, दिशा देने वाली… हाँ मै ही थी जिसने कानून बनवाएं, मैंने ही आपके हक थे दिलवाए, मैंने ही थे आपके कर्त्तव्य भी बताये, और मेरे ही शोर ने अबतक देश है चलाएं… किन्तु खेद क़ी समय से नहीं रह सक़ी अछूती, दिशा देती थी जो सबको, आज खुद ही है भटकी, जिसे थे सुलझाने समस्या, आज झेल रही है समस्या, आज संशय में शायद, क्या मै हूँ देश बनाती? ये है मै ही थी, स्व पे गुमान करती थी, अपनों के त्याग पे मान करती थी, और में ही हु आज, खुद को दोषी कहती, अपने घरवालों को हूँ दागी कहती.. लड़ना घरवालों का कुछ नया नहीं था, पर बिकना रुपयों में क्या देश द्रोह से कम था? ताज्जुब नहीं की तब चौकीदार सोया था, शक हुआ यकीन कि अब वो भी बिका था… वो दौर कोई और था जब अपने भाग्य थी इठलाती, था मन में एक गुरूर कि मै ही देश चलाती, पर ये गौरव, गुमान क्षणिक ही रह गया, अपनों के स्वार्थ ने ये दिन दिखा दिया.. है निवेदन सबसे, मेरे सुनहरे दिन लौटा दो, जो देश एक कर सके, वो पटेल मुझे लौटा दो, सादगी हो शास्त्री सी जिसमें, अटल गुण संपन्न हो, बिना भेद जो देश चलायें उसी को सत्ता पे तुम बिठा दो.. #parliament #janpath #rashtrapatibhavan (at Parliament of India) https://www.instagram.com/p/BsLTtTTB3i6/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=yyrzn8gxwiiv